साध्वी का गंगा समर्पण और शासक की क्रूरता।
हरिद्वार। सांसारिक भोग वासना को त्यागकर मात्र 23 साल की अवस्था में साध्वी धर्म का वरण करती है, जिस आश्रम में रह रही होती है उस आश्रम में गंगा के प्रति किये गए सत्याग्रह को मौन से देखती है। गंगा के प्रति उसका समर्पण ऐसा होता है कि वह उसी सत्याग्रह के परंपरा में एक नामी गिरामी प्रोफेसर, बाद में संन्यास धर्म स्वीकार करके गंगा के प्रति सत्याग्रह आश्रम में ही कर रहे होते हैं। उनको सरकार पूर्ण चैतन्य, सजग और कर्मठ अवस्था में ले जाकर दूसरे दिन ही हत्या कर देती है। उससे वह डरती नहीं है बल्कि गंगा के प्रति उसका समर्पण और बलवती हो जाता है। उसके उपरांत जब आश्रम के दूसरे ब्रह्मचारी तपस्या पर होते हैं तो 194 दिनों के बाद सरकार लिखित एवं मौखिक आश्वासन देकर उनकी तपस्या तुड़वाती है परंतु एक छली सरकार तपस्वी को दिए हुए वचन से मुकर जाती है। पुनः जब तपस्या की बात होती है तो वह साध्वी अपने आपको आगे करती है और तपस्या पर बैठती है। क्रूर सरकार की योजना वहीं से शुरू हो जाती है। वह क्रूर सरकार पवित्रतम आश्रम को नष्ट करने का बहुत दिनों से योजना बना रही है परंतु आश्रम में इतनी पवित्रता है कि उसे कोई छिद्र मिलता ही नहीं। अस्तु।
15 दिसम्बर, 2019 से तपस्या पर बैठी साध्वी जो नींबू, पानी, नमक और शहद ले रही होती है। 30 जनवरी, 2020 को, जबकि उसके स्वास्थ्य का सभी पैमाना ठीक है, सामान्य है, यहाँ के सीएमओ को ऊपर से निर्देश आता है कि उसे किसी तरह देहरादून अस्पताल लाओ। यहाँ की सीएमओ गलत आख्या तैयार करती है और रात्रि में 11 बजे सोई हुई साध्वी को भारी पुलिस बल के साथ आश्रम में नियम विरुद्ध 144 धारा लगाकर उसके कमरे के किवाड़ को तोड़कर जबरन उसे घसीटते हुए बाहर ले जाती है। उस समय का वीडियो लिंक -https://youtu.be/-aaOAKNE4qM ये है जिसे कोई भी देख सकता है। रात्रि 12:50 मिनट पर उसे दून अस्पताल में भर्ती करवाया जाता है। वहाँ रात में उसे रेप करने की चेष्टा की जाती है और सवेरे सवेरे, चूंकि वह वहां कोई जांच करवाने के लिए तैयार नहीं होती है, उसे एक ऐसी बीमारी जिसका इलाज जो डॉक्टर जांच किया है उसी की देखरेख में उसी के द्वारा रेफर किये गए अस्पताल में होगा बताया जाता है। इसका प्रतिकार करने पर कि हमलोग स्वयं जाँच करवायेंगे और यदि बीमारी नहीं निकला तो उस डॉक्टर पर कार्रवाई करनी होगी तो उसके बाद उसे दो महीने का झूठा प्रेग्नेंट पत्रकारों के सामने ठहरा दिया जाता है। साध्वी का उसका घोर प्रतिकार करने पर जांच किया गया तो रिपोर्ट नेगेटिव निकला और साथ ही साथ स्वास्थ्य का समस्त पैरामीटर सही निकला उसके बाद डॉक्टर ने उसे डिस्चार्ज कर दिया।
यहाँ स्पष्ट है कि कितना बड़ा षड्यंत्र था ये कि ऐसी बीमारी का बहाना बनाकर उसे दो महीने का प्रेग्नेंट ठहराकर ये दिखलाता कि भ्रूण तपस्या के चलते नष्ट हो गया और डॉक्टर रिपोर्ट दे देता कि ये दो महीने की प्रेग्नेंट थी। हमारा न्यायिक व्यवस्था भी उसी को सही ठहराता। साध्वी को कलंकित करने के साथ साथ आश्रम को बर्बाद करने का कितना बड़ा षडयंत्र था। इतना ही नहीं, वहां का डीएम जो कि इस षड्यंत्र में पूरा संलिप्त था किस अधिकार से किसी डिस्चार्ज हुए व्यक्ति को चार घण्टा detain करा देता है और उसी समय उस कमरे में जांच के लिए आई नर्स और डॉक्टर के द्वारा जहरीला गैस छोड़ दिया जाता है जिसका गंध जले हुए बिजली के तार की तरह होता है। डिस्चार्ज होकर वह रात सवा नौ बजे आश्रम आती है। आश्रम के पवित्र वातावरण में और आश्रम के डॉक्टर की देखरेख में वहां से आने के बाद जहर के चलते जो हालत बिगड़ती है वह धीरे धीरे ठीक हो जाती है तो पुनः सात फ़रवरी की रात्रि में जांच के लिए आती है जबकि डॉक्टर को कह दिया गया होता है कि रात्रि में जांच के लिए कोई नहीं आएगा, (क्योंकि यदि दिन में गैस छोड़ता भी होगा तो उसका असर नगण्य होता होगा या चारों तरफ लोगों के बैठे होने के कारण नहीं छोड़ता होगा), मना करने के बावजूद अंदर जा करके जांच करती है औऱ उसके निकलने के बाद पुनः उसी गैस की गंध पाई जाती है।
यहाँ एक बात और उल्लेखनीय है कि देहरादून का वह डीएम जो देहरादून में ऐसा कुकृत्य करवाया जब ये निर्णय हुआ कि साध्वी को डिस्चार्ज करना होगा तो शासन उसे उसी दिन ही हरिद्वार ट्रांसफर कर दिया। साध्वी की स्थिति बिगड़ती गई परंतु आश्रम की देखरेख में उसका समस्त पैरामीटर सामान्य था परंतु धीरे धीरे nuorological problem शुरू हो गया था। चूंकि आश्रम में तपस्या का लंबा इतिहास है और किसी भी तपस्या में ये बात नहीं देखी गई थी इसलिये इसे हमलोग समझ नहीं पाए। पुनः 15 फरवरी की रात में डॉक्टर को लेकर प्रशासनिक टीम पहुंच गई
उद्देश्य क्या था यह हर कोई समझ सकता है। यदि 15 फरवरी को जांच करने में सफल हो जाता तो साध्वी का अंत यहीं हो जाता। 17 फरवरी को उसे आश्रम से ले जाकर रामकृष्ण मिशन अस्पताल में भर्ती करवाया गया। वहां समस्त पैरामीटर सामान्य पाया गया परंतु neorological प्रॉब्लम की बात आई जिसके लिए उसे दिल्ली एम्स रेफर किया गया और डॉक्टर की देखरेख में उसे एम्स दिल्ली ले जाया जा रहा था। इसी बीच उसी डीएम के आदेश से रास्ते में पुलिस बल के साथ जबरन, जबकि साध्वी यहां के डॉक्टरों को देखकर ही भयभीत हो जाती थी, खींचकर प्रशासन के एम्बुलेंस में रखकर उसे जबरन वापस ऋषिकेश एम्स भेजा जा रहा था। ऐसा विश्व के किसी भी कोने में शायद ही हुआ होगा। जब एम्स ऋषिकेश की तरफ लौटाया जा रहा था उसी बीच एम्स ऋषिकेश के मना करने पर उसे दिल्ली भेजना पड़ा। इस बीच 2 घंटा का समय बर्बाद किया और जब उसे छोड़ा उसके बाद 5 घंटा और कुल 7 घण्टा दिल्ली जाने में लगा परंतु वह कौन सा तंत्र था जिसने यह पेपर में निकाल दिया कि PMO के निर्देश से साध्वी को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर 2 घंटा 20 मिनट में दिल्ली पहुंचाया गया और इसका खंडन PMO के द्वारा नहीं हुआ। जब वह दिल्ली एम्स नें भर्ती हुई तो यहाँ के डॉक्टर ने वहाँ के डॉक्टर को संदेश भिजवा दिया कि वो यहां के डॉक्टर पर केस की हुई है। जिससे दिल्ली में भी शुरू शुरू में हालत और बिगड़ने लगी परंतु आश्रम के द्वारा समस्त तथ्यों से अवगत कराने पर, प्रतिकार करने पर डॉक्टरों की विशेष टीम बनी और उसके बाद धीरे धीरे हालत में सुधार हुआ। आज वह आश्रम के देखरेख में ही किसी गुप्त स्थान पर है क्योंकि आश्रम में सुरक्षा हटा होने से उसके जान पर खतरा भी है।
उसके मनोबल को देखा जाए। आश्रम आने पर जब उसको पूछा गया कि तुम्हारा तपस्या समाप्त करवा दें तो उसे वह नकारती है और संकेत देती है कि वह तपस्या पर ही है और तपस्या को जारी रखेगी। एक 23 साल की साध्वी का ऐसा मनोबल और एक शासक की ऐसी क्रूरता विश्व का एक अनूठा उदाहरण है और इस क्रूरता को उजागर करने वाली मीडिया तथा समाज का मौन हो जाना भी विकट समय का संकेत है।
Sadhvi ka samarpan, shasak ki krurta