न्याय-अन्याय का ना करे विचार
कलह, द्वेष, व्यसन, व्याभिचार
निद्रा, आलस्य, रोग, अपमान
उचित-अनुचित का न रखे ध्यान
जीवन का करता सर्वनाश
बर्बादी की पहचान
अनर्थ की जड़ है मदिरापान।
जीना इसने दुश्वार किया
संबंधों पर वार किया
माँ-बाप, पति-पत्नी और
भाई के मध्य दरार किया
क्षणिक लाभ के वशीभूत हो
गली-गली थी खुली दुकान
अनर्थ की जड़ है मदिरापान।
आयात-निर्यात, विनिर्माण, परिवहन
अवैध विज्ञापन के लिए शास्ति
सामाजिक जागरूकता से ही
दूर होगी सामाजिक ब्याधि
कानून बने हैं बड़े सख्त
कड़े बने हैं प्रावधान
महिलाओं ने भी लिया ठान
अनर्थ की जड़ है मदिरापान
संकल्प करें, प्रण करें आज
मानवता करती है पुकार
पीऐंगे न पीने देंगे
गाँधीगिरी या मनुहार
जन-मानस ने लिया ठान
मिलजुल कर बाँटे पैगाम
अब नहीं करेंगे मद्यपान
अनर्थ की जड़ है मदिरापान।