बेटी होती उड़ती चिड़ियाँ
छूना चाहे नभ का कोना
नभ छूने के प्रगति.मार्ग पर
बाधक कभी न बनना है
स्वर्णिम उसके पर.पंखों को
गतिमान हमें अब करना है
हर बंधन से मुक्त कराकर
खुली हवा में उड़ना है
बेटी को आगे बढ़ना है।
बेटी होती बहती नदिया
कलकल.छलछल अविरल निर्मल
चट्टानों में राह बनाती
खेतों में हरियाली लाती
निरंतर हरपल बहती रहकर
जन.जीवन का कष्ट मिटाती
नदिया.बिटिया के संघर्ष में
हमें सहायक बनना है
बेटी को आगे बढ़ना है।
बेटी होती मैत्रेयी.गार्गी
अरूंधती औ इन्द्रानूयी
कभी बछेन्द्रीए कभी कल्पना
अंतरिक्ष में पैर जमाती
कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है
जहाँ नहीं वह टक्कर देती
मंजिल पाने की मुहिम में
प्रेरक हमें अब बनना है
बेटी को आगे बढ़ना है।
बेटी है बाबुल की गुड़िया
माँ की सखिया होती बेटी
भाई की मुँहबोली बहना
हर घर की अरमान है बेटी
हर बेटी के भाग्य में पापा
हर पापा के भाग्य न बेटी
सीढ़ियाँ अब पड़ती हैं छोटी
छलांग उसे लगाना है
बेटी को आगे बढ़ना है।
बेटी होती घर की आभा
घर की वह किलकारी होती
शक्ति स्वरूपा दुर्गा होती
घर की लक्ष्मी होती बेटी
आंगन की तुलसी है बेटी
दो कुलों का मान है बेटी
यथार्थ है जीवन की बेटी
स्वीकार इसे अब करना है
बेटी को आगे बढ़ना है।
गीता और कुरान है बेटी
है गुरूवाणी वाइबिल भी है
अनुपम वेद.पुराण है बेटी
सुख.दुख की संगिनी है बेटी
जीवन का पायेय है बेटी
कण्व.शकुंतलाए विदेह.वैदेही
हिमगिरि की गौरी है बेटी
बेटी के सत्कर्मों पर
अभिमान हमें अब करना है
बेटी को आगे बढ़ना है।
डॉक्टर श्यामल किशोर पाठक