परख ज्ञान से होगा विघ्नों का समापन: मनोज श्रीवास्तव

विघ्नों को समाप्त करने की विधि।


विघ्नों का सामना करने के लिये सबसे पहले, चीजो को परख कर जान लेना चाहिए। परख शक्ति द्वारा हमे यह ज्ञात हो जाता है कि कोई चीज हमारे लिये हानिकारक है ।


स्वयं के लिये हानिकारक चीजो से मुक्ति के लिये, हमे दृढंकल्प होकर निर्णय लेना होगा। अतः इसके लिये निर्णय शक्ति की आवश्यकता होगी।


लेकिन इसके पूर्व हमारे पास सहन शक्ति की भी आवश्यकता होगी। 


क्योकि हमे  पता होना चाहिये कि कहां पर हमें चीजो को सहन करना है और कहा पर सामना करना है।


वास्तव में ,हमे परिस्थितियों का सामना करना है और व्ययक्तियो को सहन करना है।


लेकिन जहाँ सामना करना होता है वहाँ सहन करते है और जहां सहन करना है वहाँ सामना करने लगते है ।


लेकिन जीवन मे बदलाव के लिये सर्वाधिक महत्वपूर्ण निर्णय करने की शक्ति अथवा इच्छा शक्ति है।


निर्णय करने की शक्ति और इच्छा शक्ति प्राप्त करने के लिये ज्ञान-योग का अत्यधिक महत्व है। इसे ही हम पुरूषार्थ कहते है।


निर्णय करने की शक्ति के लिये सबसे पहले हमारे बुद्धि की लाइन क्लियर होनी चाहिये।


अर्थात हमारी बुद्धि सकारात्मक विचारों से भरपूर होना चाहिये। सकारात्मक विचारों का आधार दिव्य अलोकिक ज्ञान है। इसमें योग-मेडिटेशन मदद करता है।


 ज्ञान को धारण भी करना होगा। ताकि आने वाली परिस्थितियों में इसका उपयोग कर सके। इसमे भी योग-मेडिटेशन मदद करता है।


जितना अधिक दिव्य अलोकिक ,ईश्वरीय और आध्यत्मिक ज्ञान को धारण करेंगे उतना ही विघ्नों को समाप्त करने में सफल होंगे।


श्रेष्ठ लक्ष्य रखने पर स्वतः लक्षण मिलने लगते है।



ॐ शांति।