राम मंदिर निर्माण उत्सव में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती आमंत्रित नहीं

हरिद्वार। अयोध्या में भगवान राम मंदिर निर्माण उत्सव में अनंत श्री विभूषित ज्योतिष पीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को आमंत्रित नहीं किया गया है। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्यक्रम में  मुख्य अतिथि के तौर पर विराजमान रहेंगे। ऐसे में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की मौजूदगी से कार्यक्रम की शोभा में चार चांद लग जाते। लेकिन सरकार के इस अटपटे निर्णय से उत्सव का रंग कुछ फीका नजर आ रहा है। बताते चलें  की  मात्र कांग्रेसी  होने का  ठप्पा लगाकर  जगतगुरु शंकराचार्य  स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की अनदेखी करना समझ से बाहर है  जानकारों का कहना है  कि राम मंदिर के निर्माण में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने भी महती भूमिका निभाई है  उन्होंने पुरजोर तरीके से  माननीय न्यायालय में  राम मंदिर निर्माण को लेकर लंबे समय तक लड़ाई लड़ी इसके बावजूद  उन्हें नजरअंदाज किया गया है जो  सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े करता है। एक और जहां पूरे भारतवर्ष में भगवान राम मंदिर निर्माण का उत्सव मनाया जा रहा है। जिसमें देश के गणमान्य व्यक्तियों को भाग लेने के लिए बुलाया गया है। पूरा देश इस दिन के लिए बरसों से इंतजार कर रहा था । अब जाकर करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का सपना पूरा होने जा रहा है। बड़ा सवाल यह है कि मंदिर निर्माण के उत्सव में मुस्लिम समाज के लोगों को भी आमंत्रित किया गया है जबकि पूरा भारत ही नहीं पूरा विश्व जानता है तो मंदिर को तोड़ने का षड्यंत्र  किनके द्वारा किया गया था। ऐसे में सनातन धर्म के सर्वोच्च पद पर विराजमान जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को निमंत्रण पत्र नहीं देना एक सवाल खड़ा करता है। आखिर जब मंदिर के लिए सभी धर्मों को एक समान मानकर उत्सव में शामिल होने का मौका दिया गया है तो फिर जगतगुरु शंकराचार्य की अनदेखी क्यों की गई। क्या उन्हें कांग्रेसी मांग लेना है निमंत्रण पत्र नहीं देने का कारण है, या फिर उन्होंने राम मंदिर के निर्माण में कोई सहयोग नहीं किया, या फिर उन्होंने राम मंदिर निर्माण के मुहूर्त तिथि पर सवाल उठाए ।आखिर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को नकार देना किसी प्रकाश में उचित नहीं ठहराया जा सकता। भगवान राम लोगों की आस्था में बसे हैं ।वही शंकराचार्य का पद भी विधि मान्य है। ऐसे में जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को आमंत्रित नहीं किया जाना समझ से परे है।